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महिला डॉक्टर ने खुद अपने बाल काट डाले हैं। उसने कहा मैंने खुद को बहुत बेबस महसूस किया है। लोग हमें न बताएं कि हम कैसे रहें

महिला डॉ. अनुपमा भारद्वाज है। वह सेक्टर-15 ए में रहती हैं। उन्होंने मानव शास्त्र में PHD किया है।

दरअसल, सितंबर में ईरान की धर्माचार पुलिस ने हिजाब सही तरीके से नहीं पहनने के आरोप में 22 साल की माहसा अमीनी को हिरासत में लिया था। इसके बाद वह थाने में गिर पड़ीं और तीन दिन बाद उनकी मौत हो गई थी। अमीनी की मौत के बाद देश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इसी क्रम में नोएडा की डॉक्टर ने भी विरोध दर्ज कराया है।

कहा- भारत में भी महिलाओं के सामने कई समस्याएं
डॉ. अनुपमा भारद्वाज ने कहा, ”21वीं सदी में इस तरह की घटनाएं बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। हर किसी को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। यह महिलाओं के मामलों में गंभीरता से बात करने का समय है। भारत में भी महिलाओं के सामने अनेक समस्याएं हैं। इन पर खुलकर बात करने का समय है। यह किसी धर्म विशेष की नहीं, बल्कि सभी आम महिलाओं की बात है।”

डॉ. अनुपमा बोलीं- क्यों किसी औरत को लोग हुक्म देते हैं
डॉ. अनुपमा भारद्वाज ने आगे कहा, ”इस घटना ने ईरान में विरोध का तूफान खड़ा कर दिया। वहां जो विरोध प्रदर्शन हुए, उसमें भी कई लोग मारे गए। महिलाओं ने अपने बाल काटकर विरोध जताया। इस पूरे घटनाक्रम ने मुझे अंदर तक हिला दिया। मैंने अपने आपको बहुत बेबस महसूस किया। क्यों किसी भी औरत को लोग हुक्म देते हैं। हम क्यों नहीं महिलाओं को एक स्वतंत्र सोच दे देते हैं। मैंने भी अपना विरोध प्रकट करने के लिए अपने बाल काटे। जागरूकता के लिए वीडियो को मैंने सोशल मीडिया पर अपलोड किया है।”

कोई व्यक्ति रहन-सहन तय नहीं कर सकता
डॉ. अनुपमा ने कहा, ”लोगों में महिलाओं के मुद्दों को लेकर जागरूकता का अभाव है। मैं माहसा अमीनी के समर्थन के साथ हर उस सोच के खिलाफ लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहती हूं, जो महिला के अधिकारों को दबाने के लिए आतुर रहती है। कभी धर्म तो कभी जाति के नाम पर महिलाओं का शोषण होता है। महिलाओं को भी अपने मन से जीने का अधिकार है। कोई दूसरा व्यक्ति उनका रहन-सहन नहीं तय कर सकता।’

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