जौनपुर
शीराज-ए-हिंद की गंगा जमुनी तहजीब को अपने दामन में समेटे और हिन्दू मुस्लिम एकता की प्रतिक अंजुमन जाफरिया के तत्वावधान में स्थानीय कल्लू मरहूम के इमामबाड़े में कर्बला के प्यासे शहीदों की याद में कदीम तरही शब्बेदारी रविवार को सम्पन्न हुई। शब्बेदारी में देश विदेश से आये हुए सोगवारों ने लगातार मातम कर आंसुओं का नजराना इमाम हुसैन को पेश कर फफक-फफक कर रोते रहे। शब्बेदारी में मशहूर अंजुमनों के साथ नगर की विख्यात अंजुमनों ने नौहों व मातम का नज़राना पेश किया ।
शब्बेदारी की मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना नदीम रजा जैदी फैजाबादी ने कहा कि इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन ने जो कर्बला में शहादत दी है, की आज तक कहीं कोई मिसाल नहीं है। शिया मुसलमानों के जन्म का मकसद ही इमाम हुसैन की शहादत पर आंसू बहाना है, क्योंकि शिया वर्ग के लोग इमाम हुसैन की मां फातिमा जोहरा की तमन्ना है। मजलिस की सोजख्वानी समर रजा वा आरिज़ रजा ने किया। शब्बेदारी की अंतिम तकरीर इस्लाम धर्म में एखलाक इंसानियत इल्म को अधिक महत्व दिया गया है ऐसे में समाज के सभी लोगो को शिक्षित होकर देश को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देना है । वही मौलाना ने कर्बला के दिलसोज मंजर को ऐसा दर्शाया तो चारों ओर से लोग चीख-पुकार करने लगे ।
मजलिस के बाद शबीहे ताबूत बरामद हुआ जिसके हमराह अंजुमन जव्वादिया बनारस, अंजुमन रौनके अज़ा जलालपुर, अंजुमन दस्त-ए-जैनुल एबा कदीम रायबरेली,अंजुमन सज्जादिया जलालपुर, अंजुमन नसरुल अज़ा कोरोली इलाहाबाद के साथ नगर की कई अंजुमनों ने नौहा व मातम किया। अंत में अन्जुमन जाफ़रिया के अध्यक्ष नजमुल हसन नजमी ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया। संचालन जाहिद कानपुरी एवं बिलाल हसनैन ने संयुक्त रूप से किया । इस अवसर पर नजमुल हसन नजमी, मास्टर वसीम ,डाक्टर अनीस अब्बास दिल्ली,ताबिश ज़ैदी, मीनू खान ,डाक्टर राहिल, बिका , मोनू , शहनवाज खान , आरीज़ जैदी , शकील खान , महताब अली , नदीम मिर्ज़ा, राज मिर्ज़ा, लाडले खान , बन्ने खान , शिबू खान , आसिफ जैदी , रिशब खान , सैय्यद मोनू , सैय्यद कंबर , मिर्जा परवेज़, शमशू, अंजुम खान , शन्नू, सादिक खान सहित भारी संख्या में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के अकीदतमंद मौजूद रहे ।